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थक गया हूँ खिड़की पर बैठे बैठे
दूरबीन लिए कब तक यूं ही दुनिया देखूं
सभी झूठे हैं यहाँ मेरी तरह मैं जान गया
बुनते रहते हैं नए बहाने हर दिन
युगों सी ज़िंदगी बिताने के लिए
मौत के कुछ और करीब जाने के लिए
दूरबीन लिए कब तक यूं ही दुनिया देखूं
सभी झूठे हैं यहाँ मेरी तरह मैं जान गया
बुनते रहते हैं नए बहाने हर दिन
युगों सी ज़िंदगी बिताने के लिए
मौत के कुछ और करीब जाने के लिए
तो क्यों न हम अब शून्य के उस पार चलें
आकाश के दुसरे छोर तक
ठहरी हुई ऊबन से कोसों दूर
जहां कुछ भी थकाऊ नहीं
कुछ भी निभाऊ नहीं
जहां जिदगी आज में रहती हो
जहां अखबार न छपते हों
तारीख न हो, घड़ियाँ भी नहीं
उदासी न हो, सपने भी नहीं
न ही इंतज़ार कोइ सपनों के सच होने का
बस खुशी हो थोड़ी सी
बहुत थोड़ी सी
बस जो काफी हो एक पल को भर देने के लिए
और न कहीं दुसरे पल की आहट ही हो
ये साली ज़िन्दगी तो जन्मों सी लम्बी लगती है
ठहरी हुई सी सुस्त सी अलसाई सी
ये हर दिन का बुढाना यूं ही बैठे बैठे
और इंतज़ार साँसों की नदी थमने का
बहुत मुश्किल है, अब ये और न होगा हमसे
चलो कोई और राह चुनते हैं
ये तुम सम्हालो अपनी दूरबीन
ये खिड़की बंद कर लो अब
कि दुनिया झूठी है
रखो तहाके अपने कागजात
तारीख बावली है हमेशा से और अंधी भी
हमें परवाह नहीं, लिखने दो जो भी लिखती हो
हमारी धडकनें ही दास्तान हैं सच्ची
हमारे दिल में है एक कम्पास हमारा अपना.
आकाश के दुसरे छोर तक
ठहरी हुई ऊबन से कोसों दूर
जहां कुछ भी थकाऊ नहीं
कुछ भी निभाऊ नहीं
जहां जिदगी आज में रहती हो
जहां अखबार न छपते हों
तारीख न हो, घड़ियाँ भी नहीं
उदासी न हो, सपने भी नहीं
न ही इंतज़ार कोइ सपनों के सच होने का
बस खुशी हो थोड़ी सी
बहुत थोड़ी सी
बस जो काफी हो एक पल को भर देने के लिए
और न कहीं दुसरे पल की आहट ही हो
ये साली ज़िन्दगी तो जन्मों सी लम्बी लगती है
ठहरी हुई सी सुस्त सी अलसाई सी
ये हर दिन का बुढाना यूं ही बैठे बैठे
और इंतज़ार साँसों की नदी थमने का
बहुत मुश्किल है, अब ये और न होगा हमसे
चलो कोई और राह चुनते हैं
ये तुम सम्हालो अपनी दूरबीन
ये खिड़की बंद कर लो अब
कि दुनिया झूठी है
रखो तहाके अपने कागजात
तारीख बावली है हमेशा से और अंधी भी
हमें परवाह नहीं, लिखने दो जो भी लिखती हो
हमारी धडकनें ही दास्तान हैं सच्ची
हमारे दिल में है एक कम्पास हमारा अपना.

Categories:
poetry