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मैं तुझसे प्यार इतना आजकल करने लगा हूँ
मैं ज़िंदा हूँ, जीते जी मगर मरने लगा हूँ.
मैं जब तुझसे मिला था मेरा भी एक आशियाँ था
मगर कुछ रोज से तुझमें कहीं रहने लगा हूँ.
कि अब हर रात तेरे ख्वाब आखें चूमते हैं
लोग हैरान हैं मैं क्या नशा करने लगा हूँ.
मेरे किस्मत में तेरा नाम लिख दे, लिख सके तो
मैं काफ़िर हूँ मगर फिर भी दुआ कहने लगा हूँ.
दरिया है कि सागर है कि तू पागल नदी है
मैं तेरे साथ सब कुछ छोडकर बहने लगा हूँ.
मैं जो तुझसे मिलूँ इस बार तो खूब चूमने देना
कि तेरे इश्क़ में मैं प्यास से मरने लगा हूँ.
तेरी आखों की मैं गहराई नापूंगा ये सोचा है
इसी मकसद से इनमें कई दफा गिरने लगा हूँ.
नहाता हूँ, न खाता हूँ, न सोता हूँ ज़रूरत भर
तुम्हारी याद में खुद पर ज़ुलम करने लगा हूँ.
तुम्हारे जिस्म को अच्छी तरह महसूस कर लूँ
तुम्हारी रूह का हिस्सा सा मैं बनने लगा हूँ.
ज़रा सा पास आ जाओ कि दो से एक हो जाएँ
अकेला मैं भी तेरी ही तरह पड़ने लगा हूँ.
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poetry